डिजिटल सिग्नेचर कितने प्रकार के होते हैं ? समझें विस्तार से
डिजिटल सिग्नेचर क्या होते है इसके बारे में हम पहले ही बता चुके हैं। आज हम आपको बताने वाले है डिजिटल सिग्नेचर के प्रकार :-
डिजिटल सिग्नेचर आमतौर पर दो प्रकार के होते है, लेकिन उपयोग अनुसार इसके और भी प्रकार है।
लेकिन मुख्य रूम से उपयोग दो ही प्रकार के डिजिटल सिग्नेचर किये जाते हैं -
1. क्लास-2
सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला डिजिटल सिग्नेचर यही है। लगभग हर जगह इसी का इस्तेमाल होता है, बड़े कामों और ज्यादा सिक्योरिटी वाली जगहों को छोड़कर। क्लास-2 डीएससी सबसे सस्ता हो आसान होता है इसके लिए न ज्यादा पैसे खर्च करने होते है और न ही ज्यादा डाक्यूमेंट्स देने होते है।
उपयोग :- क्लास-2 डीएससी का उपयोग छोटे-मोठे कामों और जहां काम सिक्योरिटी या सिर्फ साइन की जरुरत होती है वहीं इसका उपयोग होता है जैसे -
इनकम टैक्स रिटर्न
EPF
डाक्यूमेंट्स साइन
RTE
ऑनलाइन किओस्क
ई-स्टाम्प
गवर्नमेंट आर्डर और सर्टिफिकेट
आदि
हर डिजिटल सिग्नेचर में दो तरह के सर्टिफिकेट होते है - पहला साइनिंग और दूसरा एनक्रिप्शन।
ज़्यदातर जगहों पर साइनिंग का ही उपयोग होता है, लेकिन कुछ खास जगहों में एन्क्रिप्शन का भी इस्तेमाल होता है। ये बात सभी क्लास के डीएससी में लागू होती है।
2. क्लास-3
इसका इस्तेमाल सभी प्रकार के ई- टेंडरों और गवर्नमेंट के किसी किसी डिपार्टमेंट में होते हैं। क्लास-3 डीएससी ज्यादा सिक्योरिटी के साथ विश्सनीय डीएससी माना जाता हैं इसलिए इसका उपयोग ऐसी हर जगह होता है जहां गोपनीयता और सुरक्षा का जयादा महत्व होता है
उपयोग :-
ई-टेंडर में अलग-अलग डिपार्टमेंट और पोर्टल के अनुसार होता है जैसे-
Central Govt.
State Govt.
Ordnance Factory
PMGSY
Railways
Tender Inviting Authority
इनके अलावा जो डीएससी होते है, जो जगहों और कार्यानुसार उपयोग किये जाते है जैसे :-
क्लास-1
क्लास-1 डीएससी सिर्फ ऑफिसियल उपयोग के लिए ही बनते है। मतलब जो डीएससी प्रोवाइड कराते है या जो कंपनी डीएससी जारी करती है जैसे - Certifying Authority, Registration Authority etc.
DGFT
इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट के लिए DGFT डीएससी बनाये जाते है, जो बाकी डीएससी से अलग होते है और इनकी प्रोसेस व डाक्यूमेंट्स अलग लगते हैं।
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